mangal dosh - An Overview
यही हमारी सबसे बड़ी गलती है की हम जीवन का मतलब समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हैं.
इससे आगे की सोच हमारे बस की बात नहीं है. तो क्या बस यही जीवन है? खाना, कमाना और आखिर में मर जाना.
जब आप गहरे ध्यान की शान्ति में बैठते हैं, तो आनन्द भीतर से प्रस्फुटित होता है, जो किसी बाह्य प्रोत्साहन से जागृत नहीं होता। ध्यान का आनन्द अभिभूत करने वाला होता है। जिन लोगों ने सच्चे ध्यान की शान्ति में प्रवेश नहीं किया है वे नहीं जानते कि वास्तविक आनन्द क्या है।
ये बहुत ही शांत दिमाग से ध्यान लगाकर समझने की बात है. असल में हम जीवन को शुरुआत से ही गलत समझ रहे हैं. हमें ये कभी नहीं भूलना चाहिए की परमात्मा की शक्ति के आगे हम शुन्य हैं और वो जो सोचते हैं, हम उसके नज़दीक भी नहीं पहुँच सकते.
हममें से बहुत कम लोग जानते हैं कि हम जीवन में कितना कुछ ले सकते हैं, यदि हम उसका उचित रूप से, विवेक पूर्णता और मितव्ययता से उपयोग करें। आइए, हम अपने समय का लाभ उठाएँ– हमारे जागृत होने से पहले ही जीवन काल समाप्त हो जाता है, और इसी कारण हम ईश्वर प्रदत्त अविनाशी समय के महत्त्व को अनुभव नहीं कर पाते।
भगवान् आपको जरूर आशीर्वाद देंगे और वो कभी खाली नहीं होगा.
चाहे जीवन आपको एक ही साथ वह सब कुछ दे भी दे जिसकी आपको इच्छा थी-धन, शक्ति, मित्र- तो कुछ समय पश्चात् आप पुनः असन्तुष्ट हो जाएंगे तथा, कुछ और अधिक चाहेंगे। परन्तु एक ऐसी वस्तु है जो आपके लिए कभी नीरस नहीं हो सकती अर्थात् आनन्द स्वयं। सुख जो कि आनन्दप्रद ढंग से विविध प्रकार का है, यद्यपि इसका सार-तत्त्व अपरिवर्तनीय है, यह ऐसी आन्तरिक अनुभूति है जिसे प्रत्येक व्यक्ति खोज रहा है। चिरस्थाई, नित्य नवीन आनंद ईश्वर है। इस आनंद को अपने भीतर प्राप्त करके, आप इसे प्रत्येक बाह्य वस्तु में भी पाएंगे। ईश्वर में आप चिरस्थाई अक्षय परमानन्द के भंडार को प्राप्त करेंगे।
अगर ये भी नहीं तो फिर क्या है जीवन? एक दुसरे से आगे निकलने की दौड़, दिलों में हमेशा एक दुसरे के लिए इर्ष्या और संतुष्टि के पीछे भागते हुए लोग, क्या यही जीवन है?
शास्त्रों में निहित सत्य ईसाई धर्म सिद्धांत
Premier League Main govt Richard Masters website had previously spoken out against the implementation of the unbiased regulator, stating in May well 2021, "I don't think that the unbiased regulator is The solution towards the concern. I would defend the Premier League's position as regulator of its golf equipment over the past thirty a long time."[seventy eight]
[88] Nevertheless, its use has long been satisfied with blended receptions from supporters and pundits, with a few praising its accuracy although others criticise its effect on the stream of the game and consistency of conclusion-creating.
ईश्वर का प्रेम, परमात्मा का प्रेम, सम्पूर्ण रूप से ग्रसित करने वाला है। एक बार आप इसका अनुभव प्राप्त कर लें, तो यह आपको शाश्वत परिमंडलों की ओर ले जाता चला जाएगा। वह प्रेम आपके हृदय से कभी भी अलग नहीं किया जाएगा। यह वहाँ प्रचण्ड होगा और इसकी अग्नि में आप परमात्मा के महान् चुम्बक को पाएंगे जो दूसरे व्यक्तियों को आपकी ओर खींचता है और वे सब कुछ जिनकी आपको वास्तव में आवश्यकता या इच्छा है, आपकी ओर आकर्षित करता है।
मानव जाति उस ‘कुछ और’ की निरन्तर खोज में व्यस्त है जिससे उसे आशा है कि सम्पूर्ण एवं असीम सुख मिल जाएगा। उन विशिष्ट आत्माओं के लिए जिन्होंने ईश्वर की खोज की है और उन्हें प्राप्त कर लिया है, यह खोज समाप्त हो चुकी है : ईश्वर ही वह कुछ और हैं।
भगवान् आपको जीवन देता है, उसमें आप जैसे कर्म करते हैं उन्ही के आधार पर अगला जन्म देते हैं. और अभी आपका जो जन्म है वो आपके पिछले जन्म के कर्मों का फल है, इस बात को समझना बहुत ही जरूरी है.